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बातें-मुलाकातें

अध्याय:- तेरह बातें-मुलाकातें फेसबुक से:- बातें-मुलाकातें ...... प्रख्यात लेखिका विमला भण्डारी से बात करनी है तो सिर उठाना होगा... वर्ष 2014 उत्तरकाशी में आयोजित राष्ट्रीय बालसाहित्य संगोष्ठी में अचानक मुझे कहा गया था कि अपनी कोई बाल विज्ञान कहानी पढ़नी है। उस पर बच्चे और फिर सदन टिप्पणी करेगा। मुझे याद है कि हल्का-फुल्का ड्राफ्ट लेकर मैं वहां था। पूर्व रात्रि पर मैंने उस कहानी को प्रदीप बहुगुणा दर्पण , मोहन चैहान , सतीश जोशी एवं अन्य साथियों के साथ साझा किया था। सभी ने कहा कि इसे पढ़ा जाना चाहिए। प्रस्तुति से पहले न जाने क्यों मुझे सदन में लगा कि अधिकतर टिप्पणियों के साथ एक महिला रचनाकारा की टिप्पणी होनी चाहिए। मैं चाहता तो रेखा चमोली जी से कह सकता था। लेकिन वह तत्काल उस समय बुक स्टाल पर थीं। वह बेहद करीबी हैं , सो यह भी हो सकता था कि वह लिहाज करते हुए सकारात्मक टिप्पणी करती। मैं सीधे एक महिला के पास जा पहुंचा। साड़ी में , बाकायदा भारतीय नारी के सभी लक्षणों से युक्त , सभी प्रकार के भारतीय गहनों-श्रृंगार से सजी-धजी महिला थीं वह। मुझे लगा पारम्परिक ग्रामीण क्षेत्र से होंगी

स्वप्नदर्शी बाल-साहित्यकार सम्मेलन

अध्याय :- बारह संस्मरण स्वप्नदर्शी बाल-साहित्यकार सम्मेलन ओडिया बाल पत्रिका ‘ नव आकाशर चंद्रमा ’ द्वारा तालचेर के नेशनल थरमल पावर प्लांट , कनिहा के दुर्गा-मंडप में 9 नवंबर 2014 को “ चंद्रमा राज्य स्तरीय सांवत्सरिक महोत्सव 2014” मेरे लिए हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। तीन कारणों से- पहला , ओडिया भाषा के महान प्रबुद्ध समीक्षक डॉ॰ प्रसन्न कुमार बराल का बाल-साहित्य पर दिया जाने वाला उद्बोधन। दूसरा कारण रहा , 9 नवंबर मेरा जन्म-दिन होना और उसी दिन इस महोत्सव के आयोजकों द्वारा मुझे “ चंद्रमा साहित्य सम्मान ” से संवर्धित करना। तीसरा और मुख्य कारण रहा- ओडिया और हिन्दी भाषा के बाल साहित्य पर तुलनात्मक विशिष्ट जानकारी का अर्जन। गत सितंबर माह में उदयपुर जिले के सलूम्बर में आयोजित ‘ राष्ट्रीय बाल-साहित्यकार सम्मेलन ‘2014’ में जाने का मौका मिला। यहां इस महोत्सव में आकर एक बार फिर मन में उस सम्मेलन की स्मृतियां एकाएक फिर से तरो-ताजा हो गई। याद आने लगा वह समय जब -   “......... डॉ॰ विमला भंडारी की साहित्यिक संस्था सलिला द्वारा सलूम्बर में आयोजित किया गया राष्ट्रीय बाल- साहित्यकार सम्मेलन और उस